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ये कुदरत है पल-पल मेंं बदलती है रंग कई, पल-पल में

ये कुदरत है पल-पल मेंं बदलती है रंग कई, पल-पल में दिखाती ढंग कई।
गर्मी में दिखाती सूरज की तपिश, सर्दी में कोहरे का आलम जैसे छुई मुई।

बसंत में दिखती फूलों की रंगीनी, वर्षा ऋतु लाती बारिश की झड़ी।
दिन में खिलती सूरज की सुनहरी धूप, रात में टिम-टिम तारों की लड़ी।

नदियों की कलकल, पंक्षियों का कलरव, कभी दिखती आमों की अमराई।
कुदरत के अद्भुत, अद्वितीय करिश्मे देख हर प्राणी के मन में खुशी छाई।
 #Contest18  (Hindi/उर्दू)

   💌प्रिय लेखक एवं लेखिकाओं,
‌ कृपया अपने अद्भुत विचारों को कलमबद्ध कर अपनी लेखनी से चार चांँद लगा दें।

🎀 उपर्युक्त विषय को अपनी रचना में अवश्य सम्मिलित करें

🎀 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें,
ये कुदरत है पल-पल मेंं बदलती है रंग कई, पल-पल में दिखाती ढंग कई।
गर्मी में दिखाती सूरज की तपिश, सर्दी में कोहरे का आलम जैसे छुई मुई।

बसंत में दिखती फूलों की रंगीनी, वर्षा ऋतु लाती बारिश की झड़ी।
दिन में खिलती सूरज की सुनहरी धूप, रात में टिम-टिम तारों की लड़ी।

नदियों की कलकल, पंक्षियों का कलरव, कभी दिखती आमों की अमराई।
कुदरत के अद्भुत, अद्वितीय करिश्मे देख हर प्राणी के मन में खुशी छाई।
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