22*8 सैया जी आएं आफिस से, पानी तो पिलवा दे ना दिन भर का हाल ए दिल, इनको भी बतला दे ना ये पिंजरा छोटा पड़ता है, इक मैना बोली तोते से इस छज्जे की डोली पर, पिंजरा थोड़ा सा बढ़वा दे ना मेरी पायल की छन-छन से खनके है चौबारा तेरा छाले पड़ गए पाँवो मे, बेड़ी थोड़ी सी खुलवा दे ना टीवी देखे मेरी सखियां हैं, करती भारी बतिया हैं बतियां मोहे भायें ना, कालेज मे भर्ती करवा दे ना चुनरी मेरी चोखी है, कितने रंगो से सजती है चोखा मेरा मुखड़ा भी, ठोकर से मोहे बचवा दे ना गैया मेरी खूटें पर, देखो चक्कर काटे ज़ोरो से खूटें की जंजीरे तुड़वा, सिनेमा इसको दिखला दे ना। Pinjra Complains in a contemporary life