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लाड़ लुटाता था बहना पर, वो निश्चर पापी काला खुशी बह

लाड़ लुटाता था बहना पर, वो निश्चर पापी काला
खुशी बहन तो झूम के हँसता था दुर्जन वो मतवाला
उसी खुशी में देवकी का फिर व्याह किया था उसने
पता नही था नियति जन्मने वाली है डर का छाला

©sukoon
  #Krishna #छाला #2