White *आपसे मन की बात* *परिपक्वता* या कहो बुढ़ापे में *बढ़ती* हुई उम्र के साथ साथ *बहुत* कुछ बदल जाता है *पहले* हम जिद कर सकते थे *अब* सिर्फ समझौता करते है *पहले* हम गुस्सा कर सकते थे *अब* सिर्फ हौसला ही करते है *पहले* मनचाहा खाते बनाते थे *अब* अनचाहा भी खाते है *जुल्म* तो ये हुआ है कि लोग *फिर* भी इसे आदर कहते है *और* सम्मान का नाम भी देते है *यही सच है* ©Andy Mann #मन_की_बात KK क्षत्राणी