जिस शख्स को तूने ख़ुदा बना के रक्खा है ख़ुदा ने उसको बेवफा बना के रक्खा है चंद सिक्कों के लिए मेहबूब बदल लेती है उसने मोहब्बत को धंधा बना के रक्खा है वो पत्थर है दिल तोड़ना ही काम है उसका तूने क्यु दिल को शीशा बना के रक्खा है ~ प्रणव पाराशर