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कुछ नहीं चाहिए कहकर दान, दहेज ,सामान सब कुछ ले ज

कुछ नहीं चाहिए कहकर 
दान, दहेज ,सामान 
सब कुछ ले जाते हैं 
बेटियों के बाप हो कर भी 
तुम ठगे से रह जाते हैं 
गिरवी रखकर जमीन,जायदाद 
अपनी बेटियां जमीदारो के घर ब्याहते हैं
कोई मान-सम्मान नहीं होता वहां लेकिन 
आप उन्हें सर आँखों पर बिठाते हैं
कोई शख्स आकर हाथ मांगता है
बिना दहेज-सामान के तो 
क्यों ? उसे समाज में फिर 
आप लोग जलील कराते हैं
जब भी बात होती है
दहेज रोकने की तो
आप लोग रैली और सभाओं में 
टर्र- टर्र मचाते हैं।

©Pavan kishor sharma
  दहेज का बुखार?#दहेज #hindi_poetry #दोहरीमानसिकता   speaking heart. k Smile pawan pandey kavi shubham patel Asif syed
कुछ नहीं चाहिए कहकर 
दान, दहेज ,सामान 
सब कुछ ले जाते हैं 
बेटियों के बाप हो कर भी 
तुम ठगे से रह जाते हैं 
गिरवी रखकर जमीन,जायदाद 
अपनी बेटियां जमीदारो के घर ब्याहते हैं
कोई मान-सम्मान नहीं होता वहां लेकिन 
आप उन्हें सर आँखों पर बिठाते हैं
कोई शख्स आकर हाथ मांगता है
बिना दहेज-सामान के तो 
क्यों ? उसे समाज में फिर 
आप लोग जलील कराते हैं
जब भी बात होती है
दहेज रोकने की तो
आप लोग रैली और सभाओं में 
टर्र- टर्र मचाते हैं।

©Pavan kishor sharma
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