Nojoto: Largest Storytelling Platform

कठिनतम परिस्थितियों में भी जीवन की उत्सवधर्मिता को

कठिनतम परिस्थितियों में भी जीवन की उत्सवधर्मिता को निस्तेज न होने देना ही वास्तविक पुरूषार्थ है जब हम हंसते हैं तो
 वह हंसी परमात्मा द्वारा प्रदत्त प्रसन्नता की
 हमारी ओर से एक कृतज्ञतापूर्ण स्वीकृति 
होती है... -उमाकांत मालवीय

©VED PRAKASH 73
  #जीवन_धारा