माना मैं कि दर्द और नफरत की पाकीज़गी से निखरा अल्फ़ाज़ हूं पर ये अल्फ़ाज़ भी निस्तब्ध है आपकी रचना के सामने यूं तो मैं सब की रचना पढ़ता रोज पर आपकी रचना पढ़ ऐसा लगता कि मैं उसे जी रहा हूं बहत कुछ सीखा हूं आपकी रचना कि पनाहगाह में रहकर हो मुक्कमल आपकी हर ख्वाहिश कि दुआं है मेरी उस रब से Dedicating a #testimonial to Scarlet