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दिन भर सहकर धूप हवा, मैं हर दिन मुस्काती हूं। कुछ

दिन भर सहकर धूप हवा,
मैं हर दिन मुस्काती हूं।
कुछ आंखों को आराम दिलाकर, 
मैं खुद थक जाती हूं।।

बड़ी गजब है सचमुच दुनिया, 
इसका खेल निराला।
हो जाऊं बीमार अगर,
कोई न पूछने वाला।।

बेशक मन को न भावे,
पर बात है सचमुच पुख़्ता।
कभी किसी ने देखा है ?
मुरझाए फूलों का गुलदस्ता !
 मुरझाए फूलों का गुलदस्ता🥀
#हिंदी #कविता
दिन भर सहकर धूप हवा,
मैं हर दिन मुस्काती हूं।
कुछ आंखों को आराम दिलाकर, 
मैं खुद थक जाती हूं।।

बड़ी गजब है सचमुच दुनिया, 
इसका खेल निराला।
हो जाऊं बीमार अगर,
कोई न पूछने वाला।।

बेशक मन को न भावे,
पर बात है सचमुच पुख़्ता।
कभी किसी ने देखा है ?
मुरझाए फूलों का गुलदस्ता !
 मुरझाए फूलों का गुलदस्ता🥀
#हिंदी #कविता
shashwatrai8356

Shashwat Rai

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