जीवन पटरी पे चले,कैसे मिले निदान। नहीं पास है कुछ बचा,ना कोई अनुदान।।१ घटा प्रलय का है घना,अब हो कैसे भोर। दूरों तक दिखता नहीं,नहीं कहीं अब ठौर।। २ भारत भूषण पाठक"देवांश"🙏🌹🙏 ©Bharat Bhushan pathak #जीवन_एक_संघर्ष_है #जीवन_पथ