ना कोई धर्म छोटा ना कोई महजब घृणा ना के पात्र है धर्म है अनेक पर सब धर्मो का सार समान है आज हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईशाई - कई धर्मो में बाटा है इंशान परमात्मा ने बनायी एक धर्म ''इंसानियत'' आज उसे भुला बैठा है इंशान हिंदू करे हिंदुत्व की रखबली मुस्लिम करे मोहम्मद की हीफाजात शिख करे गुरुगोविंद की निगरानी ईशाई भी करे ईसा-मसीह की रखवाली पर क्यू? डरा सहमा ठूठरता अपने अस्तित्व को बचाता विलाप करता मारा-मारा फिर रहा है इंसानियत— % & #inshaniyat #kavita_quotes #dil_ki_baate #sawal_ek_jindgi #sawal_ek_soch_ki