मेरे प्यारे चाँद मेरे चांद तुम्हें फिर लिखती हूं, तुम ही हो जिससे मैं वक्त-बेवक्त बात करती हूं। पहले तुम्हें ज़ेहन में उतारा, अब काग़जो पर उतार नया आगाज़ करती हूं। तुम मेरे इश्क हों, हर कविता में तुम्हें हर्फ-दर-हर्फ लिखा करती हूं। हां चांद, तुमसे इश्क करने का गुनाह हर दफ़ा करती हूं। -Neha_Pandya #मेरे_प्यारे_चांद