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tनमस्कार मित्रों, आज मैं कुछ बातें करूँगाl जो मेर

 tनमस्कार मित्रों, 
आज मैं कुछ बातें करूँगाl जो मेरी मस्ती और अनुभव का प्रतिनिधित्व करेंगीl मुझे नही पता मैं क्यों आप से अपने मन की बात shere कर लेता हुँl बस आप से बात shere करने के बाद मन में एक अलग ही अजीब सी मिठास मिलती हैl पता नही क्यों आपके द्वारा मिले कमेंट मुझे एक नया जोश प्रदान करते हैंl बहुत अच्छा लगता है आप से बातें करकेl 

सीधे मस्ती और अनुभव की बात करता हुँl इस बार मैं और मेरा मित्र *राजकुमार* दोनों समर ट्रेनिंग के लिए नागपुर गएl ये मस्ती कुछ रास्ते की है कुछ sight पर की गई हैl बहुत सारा अनुभव भी है.... मेरा दोस्त दिल का बहुत ही साफ़ है, लेकिन बहुत चिंता भी करता हैl मेरे से ज़्यदा मेरा ख्याल रखाl मेरे दोस्त ने एकदम life पार्टनर की तरह मेरी सारी जिम्मेदारी अपने सिर लेकर घुमा था पुरे 15 दिनोंl एक बड़े भाई की भूमिका भी दिखी इन 15 दिनों में मेरे दोस्त कीl एक छोटे भाई की तरह लगाव भी मिलाl मेरी तबियत ख़राब होने पर बाप के जैसा प्यार भी मिलाl मैंने काफ़ी शरारत की लेकिन माँ की तरह हर शरारत को सहन कर गयाl मेरा दोस्त...... मैंने काफ़ी मस्ती की दोस्त के साथ भी, अपने सीनियर engineers के साथ भीl याद करते होंगेl वो भी मेरे दोस्त को..... l मुझे अपने सीनियर engineers से ज्ञान भी मिलाl प्यार भी मिलाl एक बहुत ही कम समय में हमें हमारे तीनों सीनियर engineers से बहुत बड़ा अनुभव भी मिलाl उसके लिए तो हम एक फाइल तैयार कर रहेंl वो अनुभव उसमे मिलेगा यहाँ मैं केवल मस्ती की बात करूँगाl 

पता है train मैं मेरा दोस्त बहुत ही फ़िक्र मंद था मेरे लिए भी और सामान के लिएl मेरी एक आदत है हर किसी से मुस्करा के बात करता हुँ चाहे वो कोई भी होlमुझे इसी बात का घमंड है, और किसी के बहुत ज़्यदा कहने पर मुझे रोना भी आता हैl लेकिन..... मैं एक आदमी से बतरा रहा था... बड़े ही आचर्य से पूछ मेरे दोस्त कि तू इन्हे जानता हैl मैंने सहजता से जबाब दिया *नहीं* l फिर ऐसे क्यों बात कर रहा था, वही माँ की तरह बोला अजनवी से बातें नहीं करनी चाहिए... कोई खाने का सामान नहीं लेना चाहिएl एक बार तो मुझे लगा कि माता जी मेरे साथ ही चली आयीं हैंl एक दिन मैं sight से बहुत लेट आया तो पिता जी तरह डांटा भी दोस्त ने... पल भर के लिए लगा पिता जी भी साथ हैंl मुझे मेरे भाई की याद आयी तो पता है हाथ पकड़ कर बोलता है *मैं हुँ ना....* मैं कुछ बोल ही नही पाया दोस्त के लिएl हमेशा लगता है मेरे साथ मेरा भाई हैl ये मेरा दोस्त नही है कमीना क्या - क्या भूमिका बनाता है पता ही नही इसकीl
मुझे लगता है मजा नहीं आया इसमें किसी दिन सारी मस्ती एक कविता के रूप में पेश करूँगाl
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 tनमस्कार मित्रों, 
आज मैं कुछ बातें करूँगाl जो मेरी मस्ती और अनुभव का प्रतिनिधित्व करेंगीl मुझे नही पता मैं क्यों आप से अपने मन की बात shere कर लेता हुँl बस आप से बात shere करने के बाद मन में एक अलग ही अजीब सी मिठास मिलती हैl पता नही क्यों आपके द्वारा मिले कमेंट मुझे एक नया जोश प्रदान करते हैंl बहुत अच्छा लगता है आप से बातें करकेl 

सीधे मस्ती और अनुभव की बात करता हुँl इस बार मैं और मेरा मित्र *राजकुमार* दोनों समर ट्रेनिंग के लिए नागपुर गएl ये मस्ती कुछ रास्ते की है कुछ sight पर की गई हैl बहुत सारा अनुभव भी है.... मेरा दोस्त दिल का बहुत ही साफ़ है, लेकिन बहुत चिंता भी करता हैl मेरे से ज़्यदा मेरा ख्याल रखाl मेरे दोस्त ने एकदम life पार्टनर की तरह मेरी सारी जिम्मेदारी अपने सिर लेकर घुमा था पुरे 15 दिनोंl एक बड़े भाई की भूमिका भी दिखी इन 15 दिनों में मेरे दोस्त कीl एक छोटे भाई की तरह लगाव भी मिलाl मेरी तबियत ख़राब होने पर बाप के जैसा प्यार भी मिलाl मैंने काफ़ी शरारत की लेकिन माँ की तरह हर शरारत को सहन कर गयाl मेरा दोस्त...... मैंने काफ़ी मस्ती की दोस्त के साथ भी, अपने सीनियर engineers के साथ भीl याद करते होंगेl वो भी मेरे दोस्त को..... l मुझे अपने सीनियर engineers से ज्ञान भी मिलाl प्यार भी मिलाl एक बहुत ही कम समय में हमें हमारे तीनों सीनियर engineers से बहुत बड़ा अनुभव भी मिलाl उसके लिए तो हम एक फाइल तैयार कर रहेंl वो अनुभव उसमे मिलेगा यहाँ मैं केवल मस्ती की बात करूँगाl 

पता है train मैं मेरा दोस्त बहुत ही फ़िक्र मंद था मेरे लिए भी और सामान के लिएl मेरी एक आदत है हर किसी से मुस्करा के बात करता हुँ चाहे वो कोई भी होlमुझे इसी बात का घमंड है, और किसी के बहुत ज़्यदा कहने पर मुझे रोना भी आता हैl लेकिन..... मैं एक आदमी से बतरा रहा था... बड़े ही आचर्य से पूछ मेरे दोस्त कि तू इन्हे जानता हैl मैंने सहजता से जबाब दिया *नहीं* l फिर ऐसे क्यों बात कर रहा था, वही माँ की तरह बोला अजनवी से बातें नहीं करनी चाहिए... कोई खाने का सामान नहीं लेना चाहिएl एक बार तो मुझे लगा कि माता जी मेरे साथ ही चली आयीं हैंl एक दिन मैं sight से बहुत लेट आया तो पिता जी तरह डांटा भी दोस्त ने... पल भर के लिए लगा पिता जी भी साथ हैंl मुझे मेरे भाई की याद आयी तो पता है हाथ पकड़ कर बोलता है *मैं हुँ ना....* मैं कुछ बोल ही नही पाया दोस्त के लिएl हमेशा लगता है मेरे साथ मेरा भाई हैl ये मेरा दोस्त नही है कमीना क्या - क्या भूमिका बनाता है पता ही नही इसकीl
मुझे लगता है मजा नहीं आया इसमें किसी दिन सारी मस्ती एक कविता के रूप में पेश करूँगाl
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