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पर सोचा अब मैंने भी है कुछ की रहना तुमसे दूर है ।

पर सोचा अब मैंने भी है कुछ 
की रहना तुमसे दूर है ।
जीना इसी जमाने में है ।
पर मंज़िल कुछ और है।
क्युकी समझ चुका हूं अब मै ।
की सपनों की वो बातें
हकीकत से कोसो दूर है।
part =४ इस कविता के ४ भाग है ।
पूर्ण कविता पढ़े पूरा समझने के लिए।
पर सोचा अब मैंने भी है कुछ 
की रहना तुमसे दूर है ।
जीना इसी जमाने में है ।
पर मंज़िल कुछ और है।
क्युकी समझ चुका हूं अब मै ।
की सपनों की वो बातें
हकीकत से कोसो दूर है।
part =४ इस कविता के ४ भाग है ।
पूर्ण कविता पढ़े पूरा समझने के लिए।
ashujha8395

Ashu Jha

New Creator

इस कविता के ४ भाग है । पूर्ण कविता पढ़े पूरा समझने के लिए।