पर सोचा अब मैंने भी है कुछ की रहना तुमसे दूर है । जीना इसी जमाने में है । पर मंज़िल कुछ और है। क्युकी समझ चुका हूं अब मै । की सपनों की वो बातें हकीकत से कोसो दूर है। part =४ इस कविता के ४ भाग है । पूर्ण कविता पढ़े पूरा समझने के लिए।