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कुछ चलते पदचिन्हों पर,कुछ खुद पदचिन्ह बनाते है। मह

कुछ चलते पदचिन्हों पर,कुछ खुद पदचिन्ह बनाते है।
महापुरुष कुछ ऐसे वे,जिनकी महिमा सब गाते है।।
"कुंभलगढ़ मेवाड़" धरा वह,"क्षत्री वीर" का यश गाती।
"महा प्रतापी राणा" के, इतिहास से जग में विख्याति।।
थे ऊंचे वे सोच थी उँची, महालडाकू महाप्रबल।
दुश्मन जिनके नाम से कांपे,"चेतक" में था हवा से बल।।
मातृभूमि रक्षा की खातिर,वन में समय गुजारा था।
"घांस की रोटी" खा ली हँसके,"अकबर" न स्वीकारा था।।
जिनके भालो से टकराके,सेना चित हो जाती थी।
हुँकारे बिजली सी भरते,हलचल तब मच जाती थी।।
"हल्दी घाटी" याद करो,"अकबर" को धूल चटाई थी।
जिनकी तलवारों से सारी,मुगल नींव धरराई थी।।
दुश्मन पर भी छाप छोड़ दी,अपने शौर्य पराक्रम की।
"अकबर" रोया मृत्यु सुन,"राणा" के वीर पराक्रम की।।
पर "राणा से वीर" युगों में,एक बार ही आते है।
शौर्य पराक्रम के बलिदानी,उनको शीश नवाते है।। #maharana pratap
कुछ चलते पदचिन्हों पर,कुछ खुद पदचिन्ह बनाते है।
महापुरुष कुछ ऐसे वे,जिनकी महिमा सब गाते है।।
"कुंभलगढ़ मेवाड़" धरा वह,"क्षत्री वीर" का यश गाती।
"महा प्रतापी राणा" के, इतिहास से जग में विख्याति।।
थे ऊंचे वे सोच थी उँची, महालडाकू महाप्रबल।
दुश्मन जिनके नाम से कांपे,"चेतक" में था हवा से बल।।
मातृभूमि रक्षा की खातिर,वन में समय गुजारा था।
"घांस की रोटी" खा ली हँसके,"अकबर" न स्वीकारा था।।
जिनके भालो से टकराके,सेना चित हो जाती थी।
हुँकारे बिजली सी भरते,हलचल तब मच जाती थी।।
"हल्दी घाटी" याद करो,"अकबर" को धूल चटाई थी।
जिनकी तलवारों से सारी,मुगल नींव धरराई थी।।
दुश्मन पर भी छाप छोड़ दी,अपने शौर्य पराक्रम की।
"अकबर" रोया मृत्यु सुन,"राणा" के वीर पराक्रम की।।
पर "राणा से वीर" युगों में,एक बार ही आते है।
शौर्य पराक्रम के बलिदानी,उनको शीश नवाते है।। #maharana pratap
aakashjain7399

Aakash Jain

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