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।।सत्यता की आंच।। 2. यू कमजोर सा फिरता है सत्यता


।।सत्यता की आंच।।

2. यू कमजोर सा फिरता है सत्यता यहीं कहीं।
ना सोर में ना मोड में ..
ना जीत में ना हार में ..
तुम देख लो इसे सत्यता की आंच में।।
नाभ को चिर के उतरी है सत्यता यहीं कहीं l
अंधेरा लाख जो चाहे , पर सत्यता उतरती है यहीं कहीं।।
 
यू गिरे लोगो को उठाती है..सत्यता यहीं कहीं।
भटको को रास्ता दिखाती है .. सत्यता यहीं कहीं।।


पर सत्यता की आंच में जलते हैं हम सभी .....
                     धन्यवाद,
          By - Omjay manikpuri

©Omjay manikpuri
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