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गर्दिशों का दौर है जनाब एक दिन निकल ही जाएगा उम्मी

गर्दिशों का दौर है जनाब एक दिन निकल ही जाएगा
उम्मीद भरी लौ जलाए रखना मुसीबतों के समंदर में।
नाउम्मीदी की बर्फ समेटे ये दरिया भी पिघल जाएगा,
कल गिरा था आज गिरा है कल शायद फिर गिरेगा
भरोसे की कश्ती तैयार रख हर तूफान में सम्भल जाएगा।
✍️Vनीत

©Awasthi Vinit Kumar #self_Motivated
गर्दिशों का दौर है जनाब एक दिन निकल ही जाएगा
उम्मीद भरी लौ जलाए रखना मुसीबतों के समंदर में।
नाउम्मीदी की बर्फ समेटे ये दरिया भी पिघल जाएगा,
कल गिरा था आज गिरा है कल शायद फिर गिरेगा
भरोसे की कश्ती तैयार रख हर तूफान में सम्भल जाएगा।
✍️Vनीत

©Awasthi Vinit Kumar #self_Motivated