White नफरतों के शहर में मैं ग़ुलाब लिए जा रहा हूं देखो ना यार मैं एक बेवफा से वफा किए जा रहा हूं मालूम मुझे वो मोहब्बत नहीं नसीब में मेरी फिर भी मैं उसे अपना नसीब बताए जा रहा हूं मैं देख रहा हूं उसे किसी ओर से लिपटे हुए फिर भी उसे अपने सीने से लगाने के लिए बेताब हुआ जा रहा हूं देखो ना यार मैं यह क्या से क्या होता जा रहा हूं नफरतों के शहर में मैं ग़ुलाब लिए जा रहा हूं।। ©UNSPOKENWORDSKP #Sad_shayri नफरतों के शहर में ग़ुलाब शायरी हिंदी में शायरी लव 'दर्द भरी शायरी' खूबसूरत दो लाइन शायरी