सब के सब साजिश कर रहे थे, तुम कह रहे हो तुम नहीं थे चलो मान लेते हैं, क्या गलत था क्या सही, आज तुम्हारे मुंह से ही जान लेते हैं, पर इन झूठे आंसुओं से बहक जाऊं अब ऐसी फितरत नहीं मेरी तुम बेकसुर महसूस करो, तुमने कुछ नहीं किया ऐसा ही कहेंगें ज़ुबान देते हैं ॥ ©Ritik Nehra #disturbed