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बचपन बीता, जवानी बीती, बीता हर एक शाम। परिवार

बचपन बीता, जवानी बीती, बीता हर एक शाम।      परिवार के खुशियों के लिए रात दिन करता गया काम।। मेहनत करते करते पता ही नहीं चला,।                       साले बीती, अब खुद के लिए सोचो पहला भला।           अब जाकर फुर्सत मिली जी लू थोड़ी खुद की जिंदगी।। शौक क्या है? जानने की फुर्सत कहां?                       औरों की खुशियां कमाने के पीछे दौड़ता रहा यहां से वहां।। जीवन का एक हिस्सा पहली बार किया सिर्फ अपनी खुशियों के नाम।                                                   बचपन बीता, जवानी बीती, बीता हर एक एक शाम।। --कल्याणी दास

©Khushi Dass #wait पापा ने नई कार खरीदी।।
बचपन बीता, जवानी बीती, बीता हर एक शाम।      परिवार के खुशियों के लिए रात दिन करता गया काम।। मेहनत करते करते पता ही नहीं चला,।                       साले बीती, अब खुद के लिए सोचो पहला भला।           अब जाकर फुर्सत मिली जी लू थोड़ी खुद की जिंदगी।। शौक क्या है? जानने की फुर्सत कहां?                       औरों की खुशियां कमाने के पीछे दौड़ता रहा यहां से वहां।। जीवन का एक हिस्सा पहली बार किया सिर्फ अपनी खुशियों के नाम।                                                   बचपन बीता, जवानी बीती, बीता हर एक एक शाम।। --कल्याणी दास

©Khushi Dass #wait पापा ने नई कार खरीदी।।
khushidass5030

Khushi Dass

New Creator

#wait पापा ने नई कार खरीदी।। #कविता