अधूरी मुलाकाते लफ़्ज से याद आए दिन पुराने ..! जब सारे दोस्त इकट्ठे होने के ढ़ूढ़ते थे बहाने..!! अब ना वो दोस्त रहे ना वो दिन सुहाने..! अपने को भूलकर अब... लगे है जिम्मेदारियों को निभाने..!! रह गई कुछ अधूरी चाहते...कुछ ख़्वाब पुराने..! जि़गरी दोस्ती के निशाँ ..वो हमारे ख़त पुराने..!! पूरी मुलाक़ातों की कहानियाँ नहीं बनतीं ये सारी कहानियाँ अधूरेपन की हैं। लिखें क़िस्से अपनी अधूरी मुलाक़ातों के। Collab करें YQ Didi के साथ। #अधूरीमुलाक़ातें #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine