केसू वो का सवाराना बाकी है लते तो उलझी है उलझनों जैसे अभी उनका सुलझाना बाकी है कहती है जुल्फे हमसे ना कर गुस्ताखी इनसे ए अमानत किसी और की रखी है गीरवी रखो सलामत इनको अभी तो इनका ब्याज बाकी है केसुवो से ना उलझो अभी हमारा हिसाब बाकी है ©Gita meri sayari ki dayri✍️✍️🌹🌹