कुछ यूं ताज़ा कर दिया आज़ाद हिंद को फिर एकबार अद्म तोहफ़ज़ से भर दिया..।। पर भूल कर दी यह कि सोच लिया तुमने आवाम सोई है मुल्क की क्या फ़र्क जो कुछ कर दिया...।। पर सच एक यह भी है कि वज़ीर हो तु आवाम के न डरे जब फ़िरंग से तो तुम्हारी क्या बिसात है...।। अद्म तोहफ़ज़ = insecurity आवाम = Citizens Hassan Khalid Thanks for inspiration भूली हुई जब याद का मंज़र