2) वो 12वें साल कुर्ते के पीछे,
एक दाग का डर लगने लगता था।
असहजता और मरोड़ का भूचाल सा आ जाता था ,
जांघ, पेट और आंत में पीड़ा का समंदर उफना जाता था ,
लेकिन तब भी , सिसकियों में उसको पूरी रात गुजारना आता था।।
खून के उन चंद दागों ने कितना डराया था ,
पांच दिवसीय झंझट ने कितना रुलाया था ,
उस पहले दर्द को उसने, मां को जब बताया था । #periods#कविता#menstruation#MenstrualHygieneDay#maahvari