घर की बड़ी बेटी हमेशा ही, बड़े होने का फर्ज निभाती है। मां-बाप का गुमान होती, हर सुख-दु:ख में साथ निभाती है। बनके रहती सदा ढाल सबकी, सारे कष्टों को दूर भगाती है। घर के खर्चों को व्यवस्थित करती, संग-संग हाथ बंटाती है। देती सदा बड़ों को मान-सम्मान, छोटों को प्यार सिखाती है। कोई कुछ गलत करें तो, वह मां बनकर समझाती रहती है। छोटों की बन अभिभावक, सदा मार्गदर्शन करती रहती है। दुखों का साया दूर रखती, हर मुश्किल में साथ निभाती है। घर की मान-मर्यादा सदा बढ़ाती, संस्कार सिखाती रहती है। मां-बाप का संसार है बड़ी बेटी, उस पर जान लुटाते रहते हैं। #sanjaysheoran #ritiksheoran #साहित्यिक सहायक #अखंड आर्यावर्त #घर की बड़ी बेटी