इस एक झगडे ने कई ताले खोल दिये मेरा असली चेहरा दिखा इतने बरसों मे तुम्हे और तुम भी, जो जी मे आया , बोल दिए सब दावँ पर लगा बैठे इसी झगड़े के नतीजे पर जो अच्छा प्यारा सच्चा है दरम्यां सब भुला दिए बस एक अदद झगड़े की औकात थी मोहब्बत की एक गलतफहमी पर सब खुशियां तौल दिए वक्ती ज़हरीली बातों से बरसों की बातें जुड़ आयी हैं क्यूंकर ज़हर हुआ वो वक़्त, जिसे पल हमने अनमोल दिए ये असली नकली चेहरों की बात नही है बस हमने तार उल्टे पुल्टे जोड़ लिए तुम अपने तार सुलझा लेना जब शांत हो जाये चित ज़रा मैं अपने तार खंगालूँगा कि कहीं न हो कोई झोल लिए फिर मिलना, फिर बैठेंगे और बीनेगें बिखरे उजड़े पल नही सुहाता के एक झगड़े से, अपने रास्तों पर डोल लिए #yqbaba #yqdidi #yqpoetry #jhagde #yqlove