हम तो नाराज भी होने का हक नहीं रखते उसके अल्फ़ाज़ बताते हैं हम नहीं हैं कुछ उसकी बातों को समझो क्या क्या अंकन है तुम केवल इक जिद्द करते हो , जो बंधन है.......... ! वह चाह रही है तुमसे एक अनिश्चित दूरी तुम भुजंग से लिपटे हो वह इक चंदन है.....!!