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हम तो नाराज भी होने का हक नहीं रखते उसके अल्फ़ाज़

हम तो नाराज भी होने का हक नहीं रखते
उसके अल्फ़ाज़ बताते हैं हम नहीं हैं कुछ 
 उसकी बातों को समझो क्या क्या अंकन है 
तुम केवल इक जिद्द करते हो , जो बंधन है..........  ! 
वह चाह रही है तुमसे एक अनिश्चित दूरी
तुम भुजंग से लिपटे हो वह इक चंदन है.....!!
हम तो नाराज भी होने का हक नहीं रखते
उसके अल्फ़ाज़ बताते हैं हम नहीं हैं कुछ 
 उसकी बातों को समझो क्या क्या अंकन है 
तुम केवल इक जिद्द करते हो , जो बंधन है..........  ! 
वह चाह रही है तुमसे एक अनिश्चित दूरी
तुम भुजंग से लिपटे हो वह इक चंदन है.....!!
saurabhmishra6084

saurabh

New Creator

उसकी बातों को समझो क्या क्या अंकन है तुम केवल इक जिद्द करते हो , जो बंधन है.......... ! वह चाह रही है तुमसे एक अनिश्चित दूरी तुम भुजंग से लिपटे हो वह इक चंदन है.....!!