चूल्हे की वो आग थी अब पेट में जो जल रही है जाने कैसी पटरी पर ज़िन्दगी ये चल रही है आओ फिर से लौट के हम अपनी भोर गांव में ढूंढे इस शहर की रौशनी अब धीरे धीरे ढल रही है #diarytalks ....... . . .. .. .