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तुम वो खिड़की हो जिसे खोलकर मैं दीवार के पार देखता

तुम वो खिड़की हो जिसे खोलकर मैं दीवार के पार देखता हूँ 
हवा तुमसे गुजर कर मुझ तक पहुँचती है
 वो बारिश की बूंदे मुझे अंदर आकर भीगा देती हैं
वो रोशनी का अंदर आके मुझे रोज़ सुबह जगाना 
 वो बरसात मे मेंढक की टर्र टर्र  वो कोयल की कु-कु
वो मन्दिर की आरती वो दरगाह की नमाज़
वो सब तुमसे होकर ही तो मुझ तक पहुँचती है
तुम वो खिड़की हो जिसे खोलकर मैं दीवार के पार देखता हूँ 
तुम वो खिड़की हो जिसे खोलकर  मैं दीवार के पार देखता हूँ ❣️ #nojoto_poetry #hindi_poetry #khayalat #two_liner #pure_work_of_fiction #kuch_bhi
तुम वो खिड़की हो जिसे खोलकर मैं दीवार के पार देखता हूँ 
हवा तुमसे गुजर कर मुझ तक पहुँचती है
 वो बारिश की बूंदे मुझे अंदर आकर भीगा देती हैं
वो रोशनी का अंदर आके मुझे रोज़ सुबह जगाना 
 वो बरसात मे मेंढक की टर्र टर्र  वो कोयल की कु-कु
वो मन्दिर की आरती वो दरगाह की नमाज़
वो सब तुमसे होकर ही तो मुझ तक पहुँचती है
तुम वो खिड़की हो जिसे खोलकर मैं दीवार के पार देखता हूँ 
तुम वो खिड़की हो जिसे खोलकर  मैं दीवार के पार देखता हूँ ❣️ #nojoto_poetry #hindi_poetry #khayalat #two_liner #pure_work_of_fiction #kuch_bhi