न फर्क आधीरात का न नींद का सबब़ है लिखना ही कलमकारों का धर्म है मज़हब़ है पलकें भी होती हैं भारी ज़ह़न मग़र जागता है कोरे पन्नों पर स्याही की शक्ल में चलता ठहरता सा रब़ है #नींद#अर्धरात्री#yqdidi#yqbhaijan#yqtales