green-leaves पल्लव की डायरी खता कोई करे खतो को आजमाने की सेटेलाइट से भाव कम हो गये है एप के नक्शे कदम पर चलती दुनिया सोच निर्भर सेल फोन पर हो गयी है आधिनिकता रीत रिवाज परम्परा सब खा रही है निशब्द होकर मन मस्तिष्क मानव का पुतलो की शक्ल लेती जा रही है दूर है सुख दुख में संग साथी खुशियाँ और संवेदनाये सोशल मीडिया से निभायी जा रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #GreenLeaves खता कोई करे,खतो को आजमाने की