ये मेरी फितरत नही किनारे खड़े जहाज़ डूब जाया करते हैं मैं तो फिर इसां हूँ एक बार जो डूबा तो कहाँ ये खूबसूरत मौके जो है वक्त अभी मेरे हिस्से मे है ज़िन्दगी की शाम ढले फिर कब हुए हैं सवेरे ज़िन्दगी बस इतनी ही संभालो के जी सको जी भर कर