जब तक दौर-ए-जाम चलेगा.. साक़ी तेरा नाम चलेगा!! मंदिर में ज़ुन्नार चलेगी.. काबे में एहराम चलेगा!! जोगी का संजोग तो नहीं.. सूफ़ी का इल्हाम चलेगा!! ज़ीना ज़ीना उन ज़ुल्फ़ों का.. फ़ित्ना सू-ए-बाम चलेगा!! रस्ते सौ एजाज़ करेंगे.. जब वो सर्व-अंदाम चलेगा!! सन्नाटे बिसराम करेंगे.. बस्ती में कोहराम चलेगा!! कब तक ये दिन रात चलेंगे.. कब तक ये इबहाम चलेगा!! कब तक लब ख़ामोश रहेंगे.. कब तक ये हंगाम चलेगा!! क्या मेरी तदबीर चलेगी.. क्या मेरा इक़दाम चलेगा!! जब तक सर पे धूप खड़ी है.. साया बे-आराम चलेगा!! कोई नर्म हवा का झोंका.. सुब्ह नहीं तो शाम चलेगा!! ऐसे कैसे बात बनेगी यहां.. कैसे मेरे मुल्क का नाम चलेगा!! _राहत इन्दोरी कैसे मेरे मुल्क का नाम चलेगा♥️😊 अनुशीर्षक में भी:_😊 जब तक दौर-ए-जाम चलेगा.. साक़ी तेरा नाम चलेगा!! मंदिर में ज़ुन्नार चलेगी..