जिंन्दगी तेरी कश्ती के तलबगार बहुत है इस पार में अकेला हूँ तो उस पार बहुत है जिंन्दगी तुमने खोली है शीशे की दुकान तेरे शहर में पत्थर के खरीदार बहुत है ©Ravi Pawar चलो कुछ लिख डाले #seaside