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जिंन्दगी तेरी कश्ती के तलबगार बहुत है इस पार में अ

जिंन्दगी तेरी कश्ती के तलबगार बहुत है
इस पार में अकेला हूँ तो उस पार बहुत है
जिंन्दगी तुमने खोली है शीशे की दुकान
तेरे शहर में पत्थर के खरीदार बहुत है

©Ravi Pawar चलो कुछ लिख डाले
#seaside
जिंन्दगी तेरी कश्ती के तलबगार बहुत है
इस पार में अकेला हूँ तो उस पार बहुत है
जिंन्दगी तुमने खोली है शीशे की दुकान
तेरे शहर में पत्थर के खरीदार बहुत है

©Ravi Pawar चलो कुछ लिख डाले
#seaside
ravipawar5657

Ravi Pawar

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