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एक दिन हमने स्वयं से पूछा,आखिर क्या है ये जिंदगी..

एक दिन हमने स्वयं से पूछा,आखिर क्या है ये जिंदगी... क्या है ये जीवन ?
 आज यह जिज्ञासा पनपी है-2

ह्रदय सेे एक चाहत निकली है की आज जीवन के अर्थ को समझा जाए;

फिर एक बाग़ पर नज़र पड़ी ,तो लगा की कली का खिलना जीवन है;

मुर्गे की बांग मर जीवन है सुबह सुबह एक बच्चे की किलकारियों का गूंजना जीवन है,

माँ बाप के चरणों को स्पर्श करना जीवन है;हमेशा बढ़ते रहना जीवन है;

एक बच्चे का गिर गिर कर पुनः प्रयास करना जीवन है,
वृक्ष पर पुराने पत्ते गिर कर नए पत्तो का आना जीवन है...

किसी के प्रति प्रेम,घृणा,इर्ष्या,द्वेष का आभास भी जीवन है;

किसी की सहायता क्र जिस प्रस्सनता का आभास होता है वह भी जीवन है,

अनगिनत अर्थ हैं जीवन के
इतने सारे अर्थ जब जीवन के,

फिर क्यूँ कभी-2 यह जीवन अर्थहीन सा लगता है;

जीवन का अर्थ तो अपने अन्दर ही बसा है; खुद  से पूछोगे तो स्वयं ही जान जाओगे जीवन का तात्पर्य..;

कभी जो लगे की रुक सा गया है जीवन तो उन सब को याद करना जो तुम्हारी परवाह करते हैं..;
तुम्हारी एक सफलता पर जो उनका ह्रदय हर्षित हो जाता है..उन को स्मरण करो;

तुम्हारे अंतर्मन से आवाज़ आएगी

बहुत कुछ बाकी है अभी जीवन में;
अभी और आगे बढ़ना है ;

अनेक बाधाओं को पार करना है...

आखिर हमेशा बढ़ते रहना ही तो जीवन है;

माँ के गर्भ से निकलने के बाद ही शुरू हो जाती है अपनी पहचान बनाने की लड़ाई

जीवन को सार्थक बनाने की चढ़ाई..;
सतत प्रयास करना ही जीवन है

।। अब कहता ये मन है की अनमोल है जीवन ....।।
एक बार जो मिला जीवन  तो इसे सार्थक बनाना है;

कुछ ऐसा कर दिखाना है की जीवन यात्रा समाप्त होते समय न हो कोई गम ;

जो जीवन छोर जाए हम ;

तब भी जब कभी कोई हमारा नाम ले ; मुस्कान हो उनके चेहरे पे;

हो ऐसा ये जीवन स्मरण की करे इसे सब और जब भी कोई हमें याद करे ..

हो प्रफ्फुल्लित मन।।।। ✍✍प्रीति लता
@perceptive_writer एक दिन हमने स्वयं से पूछा,आखिर क्या है ये जिंदगी... क्या है ये जीवन ?
 आज यह जिज्ञासा पनपी है-2

ह्रदय सेे एक चाहत निकली है की आज जीवन के अर्थ को समझा जाए;

फिर एक बाग़ पर नज़र पड़ी ,तो लगा की कली का खिलना जीवन है;

मुर्गे की बांग मर जीवन है सुबह सुबह एक बच्चे की किलकारियों का गूंजना जीवन है,
एक दिन हमने स्वयं से पूछा,आखिर क्या है ये जिंदगी... क्या है ये जीवन ?
 आज यह जिज्ञासा पनपी है-2

ह्रदय सेे एक चाहत निकली है की आज जीवन के अर्थ को समझा जाए;

फिर एक बाग़ पर नज़र पड़ी ,तो लगा की कली का खिलना जीवन है;

मुर्गे की बांग मर जीवन है सुबह सुबह एक बच्चे की किलकारियों का गूंजना जीवन है,

माँ बाप के चरणों को स्पर्श करना जीवन है;हमेशा बढ़ते रहना जीवन है;

एक बच्चे का गिर गिर कर पुनः प्रयास करना जीवन है,
वृक्ष पर पुराने पत्ते गिर कर नए पत्तो का आना जीवन है...

किसी के प्रति प्रेम,घृणा,इर्ष्या,द्वेष का आभास भी जीवन है;

किसी की सहायता क्र जिस प्रस्सनता का आभास होता है वह भी जीवन है,

अनगिनत अर्थ हैं जीवन के
इतने सारे अर्थ जब जीवन के,

फिर क्यूँ कभी-2 यह जीवन अर्थहीन सा लगता है;

जीवन का अर्थ तो अपने अन्दर ही बसा है; खुद  से पूछोगे तो स्वयं ही जान जाओगे जीवन का तात्पर्य..;

कभी जो लगे की रुक सा गया है जीवन तो उन सब को याद करना जो तुम्हारी परवाह करते हैं..;
तुम्हारी एक सफलता पर जो उनका ह्रदय हर्षित हो जाता है..उन को स्मरण करो;

तुम्हारे अंतर्मन से आवाज़ आएगी

बहुत कुछ बाकी है अभी जीवन में;
अभी और आगे बढ़ना है ;

अनेक बाधाओं को पार करना है...

आखिर हमेशा बढ़ते रहना ही तो जीवन है;

माँ के गर्भ से निकलने के बाद ही शुरू हो जाती है अपनी पहचान बनाने की लड़ाई

जीवन को सार्थक बनाने की चढ़ाई..;
सतत प्रयास करना ही जीवन है

।। अब कहता ये मन है की अनमोल है जीवन ....।।
एक बार जो मिला जीवन  तो इसे सार्थक बनाना है;

कुछ ऐसा कर दिखाना है की जीवन यात्रा समाप्त होते समय न हो कोई गम ;

जो जीवन छोर जाए हम ;

तब भी जब कभी कोई हमारा नाम ले ; मुस्कान हो उनके चेहरे पे;

हो ऐसा ये जीवन स्मरण की करे इसे सब और जब भी कोई हमें याद करे ..

हो प्रफ्फुल्लित मन।।।। ✍✍प्रीति लता
@perceptive_writer एक दिन हमने स्वयं से पूछा,आखिर क्या है ये जिंदगी... क्या है ये जीवन ?
 आज यह जिज्ञासा पनपी है-2

ह्रदय सेे एक चाहत निकली है की आज जीवन के अर्थ को समझा जाए;

फिर एक बाग़ पर नज़र पड़ी ,तो लगा की कली का खिलना जीवन है;

मुर्गे की बांग मर जीवन है सुबह सुबह एक बच्चे की किलकारियों का गूंजना जीवन है,
preetilata6500

Preeti Lata

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