समरस हुए शांत सानिध्य में विरह वेदना महलों में उजियाली छाई हुई उन्मद संवेदना बिरखती छलकती मटकाती हर्षाती पुरवा चित पावन करती मदमस्त गंध जाने किसी के आने का न्योता दे रही हो... #BuddhaPurnima #poem #Shayari #Hindi