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शुक्र है ख़ुदा का कि, तुमको नज़्म/शायरी या कत'आत की

शुक्र है ख़ुदा का कि, तुमको नज़्म/शायरी या कत'आत की समझ न है
"हिमांश" वरना तुम्हारे दिन और रात अक्सर हर्फ़ों में निकल जाते॥

*दिन जो अब ढलता ही नहीं, ये माशूका सी रात अब सोती नहीं*

©Himanshu Tomar #समझ #दिन_रात

#BakraEid
शुक्र है ख़ुदा का कि, तुमको नज़्म/शायरी या कत'आत की समझ न है
"हिमांश" वरना तुम्हारे दिन और रात अक्सर हर्फ़ों में निकल जाते॥

*दिन जो अब ढलता ही नहीं, ये माशूका सी रात अब सोती नहीं*

©Himanshu Tomar #समझ #दिन_रात

#BakraEid
himanshutomar9779

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