इस शहर में जीने के अंदाज निराले है, खुदगर्जी को रोशन कर रहे उजालें है। फुटपाथों के मंजर बेहद डराने वाले है, आंखों में काले घेरे पैरों में पड़े छाले है। बे रहमी ने इंसानियत पर जड़े ताले है, दो जून के खाने को तरसते अभागे है। अभागे तबभी कहते बड़े भाग वाले है, हम उनसे अच्छे,जिनके दिल काले है। JP lodhi 1720Jan21 ©J P Lodhi. #Foothpath #CityLife #Nojotowriters #poetryunplugged #Nojotonews #Nojotofilms #Poetry