तेरे साथ के अलावा किसी के साथ की हसरत न जगी तेरी नज़दीकियों से ज़्यादा किसी की भी कुर्बत न लगी कैसे समझाऊँ तुझको हाल-ए-दिल अपना ऐ सनम ताउम्र रहे बागीचों में बिन तेरी सोहबत, फ़रहत न लगी ©Prashant Shakun "कातिब" फ़रहत (22) = ताज़गी, खुशी, सुकून #Flower