ऐ दिल...तुझको याद करूं,तुझसे मुलाकात भी हो ऐसा तो कम ही होता है कि धूप भी हो बरसात भी हो पलक झपकते ही कट जाये मिनटों मे सदियों का सफर मेरे खुदा ऐसा कोई दिन भी ऐसी कोई रात भी हो मोहब्बत वो एहसास है जो रूह से महसूस किया जाता है जरूरी नही इसके लिये दीदार-ए-यार भी हो और मुलाकात भी हो मिल जाये जिसमे दर्द-ए-दिल का इलाज ढूंढता हूं क्या पता ऐसी कोई किताब भी हो रख तो दूं निकालकर दिल अपना तेरे कदमों मे , अगर है साथ तू मेरे तो लड सकता हूं दुनिया से मै भले ही मेरे खिलाफ सारी कायनात क्यूं न हो ©anurag bauddh तुम मेरी डायरी हो