लफ्ज़ भी कम पड़ गए जब ज़िक्र महफ़िल में तेरा हुआ वो हौलै से क्या मुस्कुरा दिए नशा रात का और भी गहरा हुआ रात से फिर सहर हुई जब चाँद ने बदली अपनी अदा साथ तेरे दिन भी ऐसे ढ़ल गया जैसे रात से फिर मिल गई सुबह... जीवन का विस्तार है इतना साहस कम पड़ जाता है। #कमपड़जाताहै #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi