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'हर रोज़' हर रोज उठ कर, फिर गिर जाता हूं, डर चोट से

'हर रोज़'
हर रोज उठ कर, फिर गिर जाता हूं,
डर चोट से नही, हौसला टूटने से लगता है।

कुछ देर हँसने के बाद सहम जाता हूं,
डर हँसने से नहीं, बाद में रोने से लगता है।

काम कुछ बनते देख, ठहर सा जाता हूँ,
डर मंज़िल से नहीं, मंज़िल के दूर जाने से लगता है।

गिरने के बाद फिर से दौड़ जाता हूं,
डर दौड़ने से नहीं, पीछे छूट जानें से लगता है।

हर रोज चोट के बाद रोते हुए,
मंजिल को दूर जाता देख पीछे कहीं रह जाता हूं,
पर अब डर नहीं लगता, किश्ती को तूफान में चलाने से। #हररोज #डर #darr #manjil #yqbaba #yqdidi #quoteliners #life
'हर रोज़'
हर रोज उठ कर, फिर गिर जाता हूं,
डर चोट से नही, हौसला टूटने से लगता है।

कुछ देर हँसने के बाद सहम जाता हूं,
डर हँसने से नहीं, बाद में रोने से लगता है।

काम कुछ बनते देख, ठहर सा जाता हूँ,
डर मंज़िल से नहीं, मंज़िल के दूर जाने से लगता है।

गिरने के बाद फिर से दौड़ जाता हूं,
डर दौड़ने से नहीं, पीछे छूट जानें से लगता है।

हर रोज चोट के बाद रोते हुए,
मंजिल को दूर जाता देख पीछे कहीं रह जाता हूं,
पर अब डर नहीं लगता, किश्ती को तूफान में चलाने से। #हररोज #डर #darr #manjil #yqbaba #yqdidi #quoteliners #life
shwetagupta9641

Shweta Gupta

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