अब तो बस यादों में है इक साहिल किताबों में है जो बिछड़ गया था साथी इक पन्ना आख़िरी छोड़ कर उन पन्नों में नीव ढूढ़ रहा हूँ अपने हर रिश्ते को जोड़ कर चका चौंद करते थे दुनियां अपने हर जज्बातें रिश्ते से आज वो मुकर रहें हैं अपने ही हर इक बातों से अब तो बस यादों में है इक साहिल किताबों में है जो बिछड़ गया था साथी इक पन्ना आख़िरी छोड़ कर उन पन्नों में नीव ढूढ़ रहा हूँ अपने हर रिश्ते को जोड़ कर