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ना मैं गुड़िया बाबुल की ना हूँ चिड़ियाँ आँगन की। न

ना मैं गुड़िया बाबुल की ना हूँ चिड़ियाँ आँगन की।
ना मैं जादुई पुड़िया हूँ, ना ही तितली किसी बगिया की! 

ना मैं हार सकती हूँ ना ही जीत मेरे हिस्से में।
ना मैं हँसाती हूँ, ना ही वजह हूँ किसी के रोने की! 

अंश हूँ वंश हूँ एक घर की ही नहीं किसी की पूरी दुनियां मैं।
ममता का एहसास, माँ का स्वरुप, मैं उन्नती संसार की!  🌷सुप्रभात🌷

🔴 प्रतियोगिता संख्या - 01 ...

🔴 शीर्षक - माँ ...

🔴 सुंदर शब्दों से छ: पंक्तियों में रचना लिखें ...
ना मैं गुड़िया बाबुल की ना हूँ चिड़ियाँ आँगन की।
ना मैं जादुई पुड़िया हूँ, ना ही तितली किसी बगिया की! 

ना मैं हार सकती हूँ ना ही जीत मेरे हिस्से में।
ना मैं हँसाती हूँ, ना ही वजह हूँ किसी के रोने की! 

अंश हूँ वंश हूँ एक घर की ही नहीं किसी की पूरी दुनियां मैं।
ममता का एहसास, माँ का स्वरुप, मैं उन्नती संसार की!  🌷सुप्रभात🌷

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nehapathak7952

Neha Pathak

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