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हिमालय से लेकर सागर तक, नदियों से लेकर गागर तक, स

हिमालय से लेकर सागर तक, 
नदियों से लेकर गागर तक,
सावन के सुहाने झूलों में,
बागों के खिलते फूलों में,
चाँद से लेकर तारों तक,
महलों से फुटपाथों तक,
जब अंधियारी एक रात में देश चैन से सोता है,
तब सीमा पर वीर जागता है, और इतिहास शहीदों का रोता है........ #देशप्रेमी
हिमालय से लेकर सागर तक, 
नदियों से लेकर गागर तक,
सावन के सुहाने झूलों में,
बागों के खिलते फूलों में,
चाँद से लेकर तारों तक,
महलों से फुटपाथों तक,
जब अंधियारी एक रात में देश चैन से सोता है,
तब सीमा पर वीर जागता है, और इतिहास शहीदों का रोता है........ #देशप्रेमी