जी चाहता है बारिश हो रही है इस्कदर, के भीग जाने को 'जी चाहता है '। भह रहे हैं जो तेरी आँखों से आँसू, आसूँ पी जाने को 'जी चाहता है '। गम कुछ कम हो तेरा भी, ऐसा मरहम लगाने को 'जी चाहता है' छोड़ दूँ मैं सारी दुनिया तेरे लिए, तूझे अपना बनाने को 'जी चाहता है '। बात-बात पे ना यूँ रूठा करो, तेरी हर अदा पे मुस्कराने को जी चाहता है छुपा लो इन निगाहों को आपने आंचल मैं, जरा सा डूब जाने को 'जी चाहता है' । बारिश हो रही है इस्कदर, के भीग जाने को 'जी चाहता है' । ©Vinod Kumar Bijender Shakya Mahendra Kumar Maddheshiya Noorulain Malik ARVIND YADAV 1717