गुनाहों का ज़माना है साहब, पर लोग आज भी साजदे किया करते हैं, बात तो यह है की साजदे कम और गुना ज्यादा करते हैं। जुम्मा मुबारक दुआ में याद रखना ©Rahat Ludhianvi जूम्मा मुबरक