हज़ार बार गिरा हूं हजार बार संभला हूं मै इन राहों पे मंज़िल की तलाश में निकला हूं मै अभी भी चल रहा हूं गिर रहा हूं सम्भल रहा हूं हर पल कुछ नया सीखते आगे निकल रहा हूं एक नया उमंग उत्साह एक नयी उम्मीद लिए कुछ नया कर दिखाने की दिल में ज़िद लिए मेरे पांव में आज कहीं कांटे तो कहीं छाले हैं फिर भी मेरी चाल पहले से कहीं मतवाले हैं हर रोज सूरज की तरह जल रहा हूं मैं हां इन राहों पे अकेले ही चल रहा हूं मै #इन राहों पर