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तेरी आँखों की कशिश, मुझे खींच रही है तेरी ओर..!

 तेरी आँखों की कशिश,
मुझे खींच रही है तेरी ओर..!

रिश्तों में मोहब्बत की,
बंधना चाहे ये पुरजोर..!

दिल है रटता रट्टू तोते सा,
तेरा नाम का करता शोर..!

भीगें हम बारिश में इश्क़ की,
नाचे मन का सुन्दर मोर..!

एक दूजे के यूँ हो जायें,
मोहब्बत की बना डोर..!

दिल में समायें रहे सदा,
न ढूंढना पड़े छोर..!

चुरा लिया है दिल को तुमने,
बन के चतुर चंचल चोर..!

©SHIVA KANT
  #Barsaat #kashish