हूँ स्वप्न मै पर क्षणिक मात्र हूँ अंतर्मन की व्याकुलता इस शोर शराबे कौतूहल मे उठे जोर की विह्वलता हूँ क्षणिक मात्र पर स्वप्न तेरे कर पाए यदि साकार मुझे हूँ अमूर्त रूप पर बहुतेरे दे पाए यदि आकार मुझे हाँ शशर्त मै कह सकता हूँ जीवन्त तेरा ही दिन होगा यदि रूप मुझे तू दे न सका बेहाल तू मेरे बिन होगा #प्रकाश #प्रकाश